श्री साई चालीसा का पाठ एवं अद्भुत लाभ। Sai Chalisa
दोस्तों आप सभी का हमारे blog पर एक बार फिर से स्वागत है। दोस्तों आज का यह article Sai Chalisa के ऊपर लिखा गया है। दोस्तों आप सभी तो साई बाबा के नाम से परिचित ही होंगे लेकिन क्या आपको साई चालीसा के बारे में पता है ?
दोस्तों मैं जानता हूँ की आप से बहुत से लोगों का जवाब ना होगा। दोस्तों साई बाबा को खुश करने के लिए आरती के साथ साथ चालीसा का पाठ करना भी अत्यंत आवश्यक है। आप सभी की इसी समस्या को दूर करने के लिए आज मैं आप सभी के लिए Sai Chalisa Lyrics लाया हु। दोस्तों आप इस चालीसा का पाठ करना शुरू दे।
दोस्तों इस चालीसा से होने वाले लाभों के बारे में मैं आपको अंत में बताऊंगा ताकि आप इसका पाठ करने के लिए प्रेरित हो सके। दोस्तों मैं आपसे इतना ही कहूंगा आप इस पुरे article को पढ़े ताकि आपको मेरी बातें अच्छे से समझ आ सके। दोस्तों अगर आप ऐसे ही article पढ़ने के शौक़ीन है तो आप हमे push notification के द्वारा subscribe कर सकते है।
Contents
Sai Chalisa Lyrics in Hindi
श्री साँई के चरणों में,
अपना शीश नवाऊं मैंकैसे
शिरडी साँई आए,
सारा हाल सुनाऊ मैं
कौन है माता, पिता कौन है,
यह न किसी ने भी जाना।
कहां जन्म साँई ने धारा,
प्रश्न पहेली रहा बना
कोई कहे अयोध्या के,
ये रामचन्द्र भगवान हैं।
कोई कहता साँई बाबा,
पवन-पुत्र हनुमान हैं
कोई कहता मंगल मूर्ति,
श्री गजानन हैं साँई।
कोई कहता गोकुल-मोहन,
देवकी नन्दन हैं साँई
शंकर समझ भक्त कई तो,
बाबा को भजते रहते।
कोई कह अवतार दत्त का,
पूजा साँई की करते
कुछ भी मानो उनको तुम,
पर साँई हैं सच्चे भगवान।
बड़े दयालु, दीनबन्धु,
कितनों को दिया जीवनदान
कई बरस पहले की घटना,
तुम्हें सुनाऊंगा मैं बात।
किसी भाग्यशाली की शिरडी में,
आई थी बारात
आया साथ उसी के था,
बालक एक बहुत सुनदर।
आया, आकर वहीं बद गया,
पावन शिरडी किया नगर
कई दिनों तक रहा भटकता,
भिक्षा मांगी उसने दर-दर।
और दिखाई ऐसी लीला,
जग में जो हो गई अमर
जैसे-जैसे उमर बढ़ी,
बढ़ती ही वैसे गई शान।
घर-घर होने लगा नगर में,
साँई बाबा का गुणगान
दिगदिगन्त में लगा गूंजने,
फिर तो साँई जी का नाम।
दीन मुखी की रक्षा करना,
यही रहा बाबा का काम
बाबा के चरणों जाकर,
जो कहता मैं हूं निर्धन।
दया उसी पर होती उनकी,
खुल जाते द:ख के बंधन
कभी किसी ने मांगी भिक्षा,
दो बाबा मुझ को संतान।
एवं अस्तु तब कहकर साँई,
देते थे उसको वरदान
स्वयं दु:खी बाबा हो जाते,
दीन-दुखी जन का लख हाल।
अंत:करन भी साँई का,
सागर जैसा रहा विशाल
भक्त एक मद्रासी आया,
घर का बहुत बड़ा धनवान।
माल खजाना बेहद उसका,
केवल नहीं रही संतान
लगा मनाने साँईनाथ को,
बाबा मुझ पर दया करो।
झंझा से झंकृत नैया को,
तुम ही मेरी पार करो
कुलदीपक के अभाव में,
व्यर्थ है दौलत की माया।
आज भिखारी बनकर बाबा,
शरण तुम्हारी मैं आया
दे दे मुझको पुत्र दान,
मैं ऋणी रहूंगा जीवन भर।
और किसी की आश न मुझको,
सिर्फ भरोसा है तुम पर
अनुनय-विनय बहुत की उसने,
चरणों में धर के शीश।
तब प्रसन्न होकर बाबा ने,
दिया भक्त को यह आशीष
अल्ला भला करेगा तेरा,
पुत्र जन्म हो तेरे घर।
कृपा रहे तुम पर उसकी,
और तेरे उस बालक पर
अब तक नहीं किसी ने पाया,
साँई की कृपा का पार।
पुत्र रतन दे मद्रासी को,
धन्य किया उसका संसार
तन-मन से जो भजे उसी का,
जग में होता है उद्धार।
सांच को आंच नहीं है कोई,
सदा झूठ की होती हार
मैं हूं सदा सहारे उसके,
सदा रहूंगा उसका दास।
साँई जैसा प्रभु मिला है,
इतनी की कम है क्या आद
मेरा भी दिन था इक ऐसा,
मिलती नहीं मुझे थी रोटी।
तन पर कपड़ा दूर रहा था,
शेष रही नन्ही सी लंगोटी
सरिता सन्मुख होने पर भी,
मैं प्यासा का प्यासा था।
दुर्दिन मेरा मेरे ऊपर,
दावाग्नि बरसाता था
धरती के अतिरिक्त जगत में,
मेरा कुछ अवलम्ब न था।
बिना भिखारी में दुनिया में,
दर-दर ठोकर खाता था
ऐसे में इक मित्र मिला जो,
परम भक्त साँई का था।
जंजालों से मुक्त, मगर इस,
जगती में वह मुझसा था
बाबा के दर्शन के खातिर,
मिल दोनों ने किया विचार।
साँई जैसे दयामूर्ति के
दर्शन को हो गए तैयार
पावन शिरडी नगर में जाकर,
देखी मतवाली मूर्ति।
धन्य जन्म हो गया कि हमने,
दु:ख सारा काफूर हो गया।
संकट सारे मिटे और
विपदाओं का अंत हो गया
मान और सम्मान मिला,
भिक्षा में हमको बाबा से।
प्रतिबिंबित हो उठे जगत में,
हम साँई की आभा से
बाबा ने सम्मान दिया है,
मान दिया इस जीवन में।
इसका ही सम्बल ले,
मैं हंसता जाऊंगा जीवन में
साँई की लीला का मेरे,
मन पर ऐसा असर हुआ
“काशीराम” बाबा का भक्त,
इस शिरडी में रहता था।
मैं साँई का साँई मेरा,
वह दुनिया से कहता था
सीकर स्वयं वस्त्र बेचता,
ग्राम नगर बाजारों में।
झंकृत उसकी हृदतंत्री थी,
साँई की झनकारों में
स्तब्ध निशा थी, थे सोये,
रजनी आंचल में चांद सितारे।
नहीं सूझता रहा हाथ,
को हाथ तिमिर के मारे
वस्त्र बेचकर लौट रहा था,
हाय! हाट से काशी।
विचित्र बड़ा संयोग कि उस दिन,
आता था वह एकाकी
घेर राह में खड़े हो गए,
उसे कुटिल अन्यायी।
मारो काटो लूटो इसको,
ही ध्वनि पड़ी सुनाई
लूट पीटकर उसे वहां से,
कुटिल गये चम्पत हो।
आघातों से मर्माहत हो,
उसने दी थी संज्ञा खो
बहुत देर तक पड़ा रहा वह,
वहीं उसी हालत में
Sai Chalisa Lyrics In English Language
साई चालीसा के पाठ से होने वाले अद्भुत लाभ
- साई बाबा की कृपा हमेशा आपके और परिवार के लोगो पर बनी रहती है।
- साई बाबा हमेशा संकट की घरी में हमारी सहायता करते है।
- साई बाबा को खुश करने के लिए इस चालीसा का पाठ करे।
- वे हमेशा आपका मार्गदर्शन करते है ताकि आप सही मार्ग पर चल सके।
- वे हमेशा आपकी रक्षा करते है।
- हर परिस्थिति का सामना करने के लिए साई बाबा हमें ताकत देते है।
दोस्तों मुझे पूरी उम्मीद है की आप सभी को हमारा यह article जो की Sai Chalisa lyrics के ऊपर लिखा गया है पसंद आया होगा अगर आपको यह article अच्छा लगा है तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ अवस्य share करे।
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